आखिर क्यों दी जाती है कुर्बानी? Qurbani Kyu Di Jati Hai (Qurbani of Waqya)

दोस्तों स्वागत है आपका www.helpmeindia.in में, लो बकरीद की सच्चाई आ गई सबके सामने। दोस्तों मुसलमानों के प्रमुख त्यौहार बकरीद में क्या होता है, किस तरह होता है। यह तो आप सभी को मालूम है, लेकिन ऐसा क्यों होता है कि कई सारे लोगों के दिमाग में सवाल बने रहते हैं क्योंकि इंटरनेट पर बकरीद से जुड़ी कई सारी आर्टिकल मौजूद है, लेकिन किसी ने भी पक्की जानकारी नहीं दी जाती। लोगों को केवल गुमराह किया जाता और इसीलिए आज की इस आर्टिकल में मैं यानी आपका दोस्त असगर भाई आपको बकरीद के पीछे की पूरी सच्चाई बताने वाला हूं। जिसे सुनकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। की इस त्यौहार के बारे में आप अब तक गलत सोचते थे। दोस्तो पूरी जानकारी लेने के लिए अंत तक जरूर पढ़ें।
आखिर क्यों दी जाती है कुर्बानी? Qurbani Kyu Di Jati Hai।
दोस्तों सालों पहले अल्लाह के पैगंबर हजरत इब्राहिम थे। अल्लाह अपने बंदों से बहुत प्यार करता है और अपनी सबसे पसंदीदा बंधु का इम्तिहान भी जरूर लेता है। इसलिए एक बार अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लिया। बूढ़े उम्र में एक बार जब इब्राहिम आराम फरमा रहे थे तभी उन्हें नींद आ जाती है और वो सपने में देखते हैं कि अल्लाह उनसे बातें करने आते हैं और कहते हैं कि इब्राहिम मैं चाहता हूं कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर दो। जब सुबह हो गई तो इब्राहिम हैरान हो गए और उन्हें अल्लाह से किया हुआ अपना वादा याद आया कि सपने में उन्होंने अपनी सबसे प्यारी चीज मांगी थी। हालांकि उस समय इब्राहिम के पास काफी बड़ी तादाद में उट हुआ करते थे, इसलिए उन्होंने सौ ऊंटों की कुर्बानी दी थी। लेकिन फिर अगली रात जब इब्राहिम सो रहे थे तो उन्हें दोबारा से सपना आता है और अल्लाह दोबारा उनसे बोलते हैं कि इब्राहिम अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करो जिसके बाद इब्राहिम अगले दिन दो सौ ऊंटों को कुर्बान कर देते है। लेकिन तीसरी बार रात को फिर से इब्राहिम को वही सपना आता है और अल्लाह उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज मांगते है। अगली सुबह उठने के बाद इब्राहिम को एहसास हुआ कि अल्लाह उनसे ऊंट की कुर्बानी नहीं मांग रहें इसलिए वो काफी देर तक सोच में पड़ गए कि उनकी सबसे प्यारी चीज क्या है और काफी सोच विचार करने के बाद उनकी नजर अपने इकलौते इस्माइल पर पड़ी जो काफी समय बाद पैदा हुआ था और इब्राहिम के बुढ़ापे का एकमात्र सहारा था। इब्राहिम के लिए इस्माइल से ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं था। और इसीलिए इब्राहिम समझ गए कि अल्लाह और कुछ नहीं बल्कि उनके बेटे इस्माइल की कुर्बानी मांग रहे हैं। कुछ पल के लिए इब्राहिम दुविधा में आ गए थे। लेकिन फिर उन्होंने इरादा कर लिया कि वह अल्लाह की बात को नहीं टालेंगे और अपने सबसे अजीज बेटे की कुर्बानी देंगे।
जिसके बाद इब्राहिम ने अपनी पत्नी हाजिराह से कहा कि मेरे बेटे को नए कपड़े पहनाओं और इतर लगाकर तैयार करो। आज इसे दूल्हा बना दो। हम अपने दोस्त के घर दावत पर जा रहे हैं। बीबी हाजरा खुश होकर अपने बेटे इस्माइल को तैयार करने लगी, जिसके बाद हजरत इब्राहिम अपने बेटे को लेकर फिलिस्तीन से मक्का की तरफ रवाना होने लगे। उतने में रास्ते में एक शैतान मिलता और बीबी हाजरा से कहने लगता है कि ये हाजरा तुम्हें पता भी है। आज इब्राहिम में अपने दोस्त के घर नहीं बल्कि तुम्हारे बेटे इस्माइल को जान से मारने के लिए लेकर जा रहे हैं। हाजरा ने कहा कि मैं इब्राहिम को अच्छे से जानती हूं। भला कोई बूढ़ा बाप अपने बेटे को क्यों मारेगा? फिर शैतान ने बताया कि इब्राहिम ख्वाब में देखा है कि अल्लाह तुम्हारे बेटे इस्माइल की कुर्बानी मांग रहे। इस बात को सुनने के बाद बीबी हाजरा कहती है कि अगर मेरा बेटा अल्लाह की राह में कुर्बान होने जा रहा है तो मुझे इस बात पर फक्र है और अल्लाह की राह में मैं ऐसे हजारों बेटे को कुर्बान कर सकती हूं।
फिर शैतान बेटे इस्माइल के पास जाता है और कहता है तुम्हें पता भी है। तुम्हारे बाबा तुम्हें कहां लेकर जा रहे तुम्हे वो अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए लेकर जा रहे हैं तो बेटे इस्माइल ने कहा कि अगर मेरे बाबा मुझे अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते है तो इससे बड़ी खुशनसीबी भला क्या हो सकती है। फिर शैतान यही सवाल लेकर हजरत इब्राहिम के पास गया और उसे कहा कि तुम अपने इकलौते और प्यारे बेटे को क्यों कुर्बान कर रहे हो। तुम्हें तो ये भी नहीं पता कि तुम्हारी कुर्बानी कुबूल होगी या नहीं?
ये बात सुनने के बाद हजरत इस्माइल पत्थर उठाते है और शैतान को पत्थर मार देते क्योंकि वो उन्हें अल्लाह की मर्जी के खिलाफ भटका रहा था और तभी से मक्का की हज यात्रा के दौरान शैतान को पत्थर मारने का रिवाज है आगे बढ़ते हुए हजरत इब्राहिम अपने बेटे से कहते हैं कि हम आपको अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए लेकर जा रहे हैं, जिसको सुनने के बाद बेटे इस्माइल कहता कि बाबा अल्लाह की राह में कुर्बान होने से बेहतर भला मेरे लिए क्या होगा, लेकिन बाबा मेरी ख्वाहिश है कि जब मेरा गला कटेगा तो आप देख नहीं पाएंगे। इस लिए रस्सी से मेरे हाथ और पैर अच्छी तरह बांध देना और फिर आप अपनी आंखों में पट्टी बांध सकते हैं ताकि आप मुझ पर रहम न खा पाए जिसके बाद हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे के हाथ पैर बांध दिए और अपनी आंखों में पट्टी बांध ली और अपने हाथों में छुरी लेकर आसमान की तरफ देखा और कहा कि है अल्लाह देख अगर तू हजारों इस्माइल देता तो हजारों के हजारो कुर्बान कर देता।
ये कहकर जैसे ही छुरी गर्दन की तरफ ले जाने लगे तो फौरन अल्लाह ने जन्नत से इस्माइल की जगह एक जानवर को लिटा दिया। अब इब्राहिम तो आंखें बंद किए हुए था। इसलिए उसने अपने बेटे को समझ कर छोरी चला दी और देखते ही देखते खून बहने लगा, जिसके बाद इब्राहिम अपनी आंखों से पट्टी खोलते है और देखते हैं। उनका बेटा बिल्कुल सही सलामत है और उनके पास खड़ा है और जब नीचे देखा तो वहीं पर एक भीड़ कुर्बान हो चुका था। इब्राहिम समझ गए। अल्लाह सिर्फ उनका इम्तिहान लेना चाहते थे। तभी आवाज आती है कि इब्राहिम तेरी इसी कुर्बानी को सालों साल याद किया जाएगा और तब से लेकर अब तक लोग इस कुर्बानी को याद करते हैं और बकरा, भेड़ और ऊंट जैसा जानवरों की कुर्बानी दे कर सभी हराम की कामों से मुक्ति पा लेते।
ईद के कितने दिन बाद बकरीद होते है?
ईद के 70 दिनों बाद यानी कि 2 महीने 10 दिन बाद बकरीद मनाई जाती है, जहां हिंदुस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तमाम अलग-अलग देशों में 3 दिनों तक यह त्यौहार जोरों शोरों से मनाया जाता है और गल्फ देशों में तो पूरे 7 दिनों तक कुर्बानी होती है जिसमें कई तरह के जानवरों को कुर्बान किया जाता है। कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से बनाए जाते हैं। पहला हिस्सा गरीबों के लिए दूसरा रिश्तेदारों के लिए और जो तीसरा हिस्सा है वह खुद के घर और दोस्तों के लिए किया जाता है।
तो दोस्तो ये थी बकरीद से जुड़ी सारी सच्चाई। दोस्तो हमें उम्मीद है की आपको बकरीद की सारी जानकारी मिल पाई होगी। आज के इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद फिर मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक के लिए जय हिंद जय भारत!
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